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Anna and Raju....

खता लम्हों ने की सजा सदीयों ने पाई हैं...।

कल तक अन्ना हजारे सेज नाम का ब्लॉग चलाने वाले राजू परूलेकर आज अचानक सुर्खीयों में आ गए। अन्ना की बाते लोगों तक पहुंचाने का काम करने वाले राजू को अन्ना ने आज एकदम से पराया कर दिया। भरी प्रेस कॉन्फ्रेस में अन्ना ने कह दिया की राजू से मेरी मुलाकात नहीं बातचित नहीं पता नहीं कैसे हवा में कह दिया।


अन्ना का ये बयान कितना झूठा हैं ये उन्होंने अपनी दुसरी ही लाईन में साफ हो गया.. अन्ना ने कहा राजू समाजसेवी हैं इसलिए उसे ब्लॉग लिखने दिया था..।

राजू का कहना हैं कि उन्होंने वहीं लिखा दो अन्ना ने उन्हें दिया। अब सच कौन - झूठ कौन सिर्फ अन्ना और राजू जानते हैं।

तीन-चार दिन पहले मैं रालेगनसिद्धी गया था, राजू भी वहीं पर आए थे। राजू आते ही अन्ना से मिलने यादवबाबा मंदिर पहुंचे। काफी देर तक वो अन्ना के कमरे बैठे, फिर बाहर निकले, राजू की ही गाडी में बैठकर वो उप-प्राचार्य निवास पहुंचे। वहां राजू भी उनके साथ थे, काफी समय के बाद किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण वहां पहुंचे..। टीम अन्ना की मुलाकात शुरू हो गई.. राजू भी उसी मिटींग में बैठे रहे.. पता नहीं अंदर क्या चल रहा था।

जनलोकपाल बिल पर चल रही स्टैण्डींग कमिटी की बैठकों की विडीयो फिल्म जनता तक पहुंचाने के लिए आग्रह करने वाली टीम अन्ना बंद कमरों में क्या बैठक कर रही थी, क्या रणनिती बना रही थी, इसका तो मुझे कोई अंदाजा नहीं.. लेकिन टीम अन्ना का सदस्या ना होते हुए भी राजू मिटींग में कैसे ये सवाल सभी के मन में उठा। राजू का इम्पॉर्टन्स बढ गया था, ब्लॉग के जरीए लोगों तक पहुंच रहा था की आखिर अन्ना क्या चाहते हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ की लडाई में टीम अन्ना पर तीखे वार हो रहे थे। अन्ना भी कुछ इन बातों से खुश नहीं थे। आंदोलन की दिशा भटक रही थी, रोज एक नए विषय पर टीम अन्ना के सदस्य बयानबाजी कर रहे थे। ऐसे में बयानबाजी की इस रेस में राजू परूलेकर की भी इन्ट्री हो गई थी। अब अन्ना मौन पकड कर बैठें थे, पर्चे पर लिखकर बात कर रहे थे। टीम अन्ना के विस्तार के बारे में अन्ना कितनी गंभीरता से विचार कर रहे थे, ये तो मैंने तब ही पढ लिया था। अन्ना सहीं कहते हैं कि वो जो कुछ कहना चाहते हैं वो खुद लिखते हैं और उसके नीचे उनके हस्ताक्षर भी होते हैं। मैंने देखा हैं वो पत्र जिसपर अन्ना के हस्ताक्षर थे और लिखा था कि अब इस आंदोलन में सेना के पूर्व अधिकारी, दलित समाज के लोग, समाजसेवी, छात्रों को जोडने की जरूरत हैं। आंदोलन में कोई पद नहीं होगा। ना कोई सचिव, ना कोई महासचिव सभी स्वयंसेवक होंगे..। युवकों को जोडा जाएगा, पुरे देश से। कई और बातें भी लिखी थी संगठन की जरूरत और विस्तार के बारे में.... राजू ने अन्ना की चिठ्ठी ब्लॉग पर डाल ही दि हैं।

जो आंदोलन सच्चाई के लिए लडा जा रहा हैं, उसे झूठ के आधार पर खडा नहीं किया जा सकता। अन्ना कोअर टीम का विस्तार चाहते थे इसमें छुपाने की क्या बात हैं। आंदोलन में गलत काम करने वालों पर कारवाई के लिए संविधान बनाने तक का इंतजार और जनलोकपाल बिल के लिए सदन के कामकाज तक के रुकने के लिए असमर्थता..ये कैसी नीति हैं।

लोग भ्रष्टाचार से निजाद पाना चाहते हैं, इसलिए अन्ना के साथ हैं। इसलिए नहीं की लोगों के पास अब कोई काम नहीं बचा हैं। जिस कॉज को लेकर जनता आपके पीछे हैं उस तराजू में आपको भी तोला जाएगा। अरविंद केजरीवाल को मैंने प्रेस कॉन्फ्रेस में सवाल पुछा था की आप संविधान तक क्यों इंतजार कर रहे हो..। जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप हुए हैं उनपर कारवाई करके उनकी जांच की जाए औऱ जब साफ सुथरे बाहर निकलो तो वापस जुड जाओ आंदोलन में .....

अरविंद ने कहां की चूंकी उनपर आरोप हो रहे हैं तो वो जवाब देंगे.. फिर उन्होंने समझाया की कैसे उनकी संस्था आंदोलन के सचिवालय के तरह काम करती हैं और कैसे फंड को ट्रान्सफर किया गया, उन्होंने ये भी जानकारी दी की 40 लाख रूपय़े अज्ञात स्त्रोतों से मिले जो वापस लौटाए जा रहे हैं.. .इसी पारदर्शीता की कामना पुरा देश टीम अन्ना से कर रहा हैं। इसी इमानदारी के लिए पुरा देश टीम अन्ना के पीछे खडा हैं। अन्ना के समर्थन में कई लोग खडे हैं।

जो लोग कई सालों से अन्ना को जानते हैं वो भी इस आंदोलन के लिए अपने से जो बने वो मदद देना चाहते हैं। अन्ना उन्हे जानते हैं... पहचानते हैं...लेकिन शायद टीम अन्ना उन्हे नहीं जानती.. महाराष्ट्र के एक बडे संपादक को अरविंद केजरीवाल ने अन्ना से मिलने से रोका था। अन्ना सबके हैं, जब आपने मैं भी अन्ना तू भी अन्ना का नारा दिया हैं तो फिर अन्ना से दूरीयां बनाने वाले आप कौन होते हो.. यहीं सवाल कई लोग पुंछ रहे हैं और यहीं टीम अन्ना और अन्ना के पुराने सहयोगीयों के बीच टकराव का मुख्य कारण बन गया हैं।

राजू कौन हैं.. वो क्यों ब्लॉग लिख रहा हैं.. हमें क्यों नहीं बताया जा रहा हैं.. ये टीम अन्ना के सवाल लाजमी हैं..। पुरे आंदोलन के मैनेजमेंट में केजरीवाल की मेहनत को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन आंदोलन में नए लोगों को एबजॉर्ब करने का खुलापन दिखाने की भी जरूरत हैं।

टीम अन्ना का रिजीडनेस मैंने मेधा पाटकर के बारे में भी देखा हैं। मेधा पाटकर को भी जोडने के लिए ये टीम पहले तैयार नहीं थी। अब कितनी तैयार हैं वो टीम अन्ना ही जाने। ऐसा नहीं होना चाहीए। बचपन में एक पाठ था मराठी की किताब में.. आतले बाहेरचे... यानी अंदरके और बाहरके..... टीम अन्ना के बारे में कुछ ऐसा ही लग रहा हैं..। बाहर के लोगों को अंदर आने नहीं दिया जा रहा हैं और बाहर के लोग अंदर घूसने के चक्कर में अंदरके लोंगों को बाहर निकालने के फिराक में हैं।

आंदोलन जिस उंचाई पर पहुंच गया हैं वहां पर अन्ना और उनकी टीम से और ज्यादा पारदर्शीता की उम्मीद की जाने में कोई गलत बात नहीं हैं। जब भ्रष्टाचारीयों से मदद का मुद्दा आया था तब टीम अन्ना ने साफ किया था की अगर कोई भ्रष्टाचार मुक्त भारत की नई राह पर चलना चाहता हैं तो उसके भूत को ना देखते हुए भविष्य के ओर देखना चाहीए। मुझे लगता हैं की आंदोलन के इस मोड पर पुरे आंदोलन को अपने ही हाथ में रखने की कवायद कोई भी करेगा, आपने जना हैं तो अधिकार आपका ही रहेगा.. लेकिन नए प्रवाहों को समा कर लेना भी सही नीति होगी। कोई भी आंदोलन इस तरह से नहीं चल सकता.. टीम अन्ना की कोअर टीम को जो पसंद नहीं हैं उनके खिलाफ वो अन्ना के खिलाफ साजीश का आरोप लगवाकर उन्हे दरकिनार कर रहे हैं.. ऐसे ही चलते रहा तो आंदोलन खत्म हो जाएगा..।

रही बात राजू परुलेकर की...। राजू ने गुस्से में आकर अन्ना के ब्लॉग पर अन्ना की चिठ्ठी अपलोड कर दी। राजू और अन्ना के संबंध के बारें में महाराष्ट्र में सारे लोग जानते हैं। ऐसे में दिल्ली में अन्ना ने राजू का मजाक बनाया.. बात दिल पर तो लगेगी ही..। अन्ना ने राजू को ब्लॉग पर डालने के लिए कई बाते दी थी। कई चिठ्ठीयां दी थी.. उसमें से सारी नहीं पर कुछ महत्त्वपूर्ण लाइनें मैने पढी हैं। टीम अन्ना के बारे में अन्ना क्या सोचते हैं उसका एक विडीयो भी मैने देखा हैं, अगर वो विडीयो अपलोड हो जाएगा तो शायद टीम अन्ना खुद ही अन्ना को छोड कर निकल जाए... लेकिन मुझे ऐसा लगता हैं कि अब इस वक्त राजू ने संयम बरतना चाहीए। गुस्से को पी जाना चाहीए। अन्ना ने कहा हैं अपमान सहन करना चाहीए। आज के वक्त सरकार अन्ना के आंदोलन को तोडना चाहती हैं, टीम अन्ना में दरारे पैदा करना चाहती हैं। राजू पर आरोप लग रहा हैं की वो एक केंद्रीय मंत्री के इशारे पर काम कर रहे हैं। राजू गुस्से में आकर टीम अन्ना के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। शायद उन्होंने कुछ सोचा होगा.. अपनी कुछ रणनिती बनाई होगी.. लेकिन ये वक्त नहीं हैं। राजू को थोडा शांत हो जाना चाहीए। राजू मंगलवार को दिल्ली में प्रेस लेकर अन्ना और उनके रिश्तों की सच्चाई जाहीर करने वाले हैं.. इसी वक्त वो अपने दावों को सच बताने के लिए कुछ सबूत पेश करने वाले हैं। लेकिन इन तमाम बातों से भ्रष्टाचार के खिलाफ खडे हुए एक बडे आंदोलन का नुकसान होगा।

राजू से जब बात हुई तब उन्होंने साफ किया की उनका अन्ना पर कोई गुस्सा नहीं हैं। टीम अन्ना पर हैं। मेरे ख्याल से अब उन्हे अन्ना की तरफ देखते हुए एक कदम पीछे ले लेना चाहीए। सबूत तो वो जब चाहे दे सकते हैं। सावधानी बरतनी चाहीए की कहीं जाने अनजाने में वो सरकार के हाथ का खिलौना ना बने। अपनी बातों से अन्ना आज भले ही मुकर रहे हो लेकिन उनकी भी शायद कोई मजबूरी होगी... इस बात को राजू को समझना चाहीए।

राजू आज भी अन्ना के समर्थन में हैं.. अन्ना के बयान के वजह से राजू की बदनामी जरूर हुई हैं, लेकिन फिर भी मैं राजू को कहना चाहूंगा की वो संयम बरते... हमें नहीं भूलना चाहीए की


खता लम्हों ने की सजा सदीयों ने पाई हैं...।

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