अन्ना की बिगड़ती तबियत ने सभी को चिंता में डाल दिया हैं। देश की तबियत की भी अब चिंता होने लगी हैं। काफी बुरा लगा जब मुंबई में अन्ना के अनशन में लोगों की भीड नहीं हुई और कम भीड़ और बिगडती तबियत के कारण अन्ना को अनशन बीच में ही तोडना पडा। अनशन तोडने के पीछे कारण और भी हैं। टीम अन्ना की खराब रणनीति भी पहली बार उन्हे भारी पडी। अन्ना की मांग और जनता के बीच आक्रोश को देखते हुए सरकार को संसद का सत्र तीन दिनों से बढाना पडा। इसे अपनी जीत मानने की बजाए, टीम अन्ना ने अपना हमला जारी रखने का फैसला लिया। आगे की लडाई लडने के लिए ताकत बटौरने और रणनीति बनाने की बजाए टीम अन्ना ने खाली वार करने का फैसला लिया। अन्ना पहले ही घोषित कर चुके थे कि वो पार्लियामेंट सेशन में चल रहे कामकाज को खुद देखेंगें और बाद में 30 तारिख से जेल भरो करेंगें। 27 तारिख से होने वाला अनशन उन्होंने स्थगित कर दिया था। लेकिन ये बात टीम अन्ना के हनुमान कहे जाने वाले अरविंद केजरीवाल के गले नहीं उतरी। जनसमर्थन एक नशे की तरह होता हैं, आदत लग गई तो लग गई। जब तक नशा नहीं उतरता तब तक सच नहीं दिखता। पहले से ही टीम अन्ना सरकार को चोर...
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